आज Short Stories of India में हम बात करेंगे Story of the first train in India भारत में पहली रेलगाड़ी की कहानी।

Short Stories of India - Story of first train in India (Ganges canal Roorkee)

दोस्तो अगर आपसे पूछा जाए की भारत में पहली रेलगाड़ी कब और कहाँ चली थी तो आपका जवाब होगा की देश में पहली बार रेल के सफर की शुरुआत 16 अप्रैल, 1853 में, मुंबई से थाणे के बीच। लेकिन हकीकत यह है कि भारत में रेल का इतिहास इससे लगभग सवा साल पहले 22 दिसंबर, 1851 को ही लिखा जा चुका था।

यकीन नहीं होता न?

तो आइये समझाते है कैसे......

भारत के एक प्रसिद्ध अखबार में छपी खबर के अनुसार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रुड़की द्वारा एक रोचक तथ्य सामने लाया गया जिसने भारतीय रेलवे के इतिहास का ट्रैक बदल दिया, आईआईटी, रुड़की ने एक रिपोर्ट Report on the Ganges Canal Works" के माध्यम से दावा किया है कि देश में पहली ट्रेन रुड़की और पिरान कलियार के बीच 22 दिसंबर 1851 में चली थी, न की इसके दो साल बाद यानि 16 अप्रैल, 1853 जैसा कि व्यापक रूप से जाना जाता है। यह रिपोर्ट आज भी रुड़की स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की लाइब्रेरी में मौजूद है।

कहानी को समझाने के लिए आपको लेकर चलते है वर्ष 1837-38 में जब उस समय के उत्तर पश्चिमी प्रांत (वर्तमान मे उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड) में जबरदस्त सूखा पड़ा और ईस्ट इंडिया कंपनी को राहत कार्यों पर लगभग एक करोड़ रुपये खर्च करने पड़ा था। पुस्तक Report on the Ganges Canal Worksमें कहा गया है कि दोआब क्षेत्र के किसानों की सिंचाई समस्याओं को हल करने के लिए, तत्कालीन ब्रिटिश इंजीनियरों ने गंगा नदी पर एक नहर के निर्माण की योजना तैयार की और उसकी जिम्मेदारी पी.टी. कॉटले को सौंपी।

Short Stories of India - Story of first train in India (150 years of Indian railway)

रिपोर्ट के अनुसार कॉटले के सामने रुड़की के पास बहने वाली सोलानी नदी चुनौती बन गई। इस कम को करने के लिए, बहुत अधिक मात्रा में मिट्टी की आवश्यकता थी जो रुड़की से लगभग 10 किमी दूर पिरान कलियर क्षेत्र में उपलब्ध थी। साथ ही एक समस्या यह भी थी की घोड़े और खच्चरों से इस काम पर ज्यादा लागत आने के साथ-साथ समय भी ज्यादा लगना था। मिट्टी लाने की आवश्यकता ने ब्रिटिश इंजीनियरों को ट्रेन चलाने की संभावना के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दिया। यही कारण था कि कॉटले ने इसके लिए रेल ट्रैक बनवाने का निर्णय लिया साथ ही उन्होंने लंदन से उपकरण मंगवाए और वहीं के विशेषज्ञों से रुड़की में ही इंजन और चार वैगन तैयार कराये। इंजन का नामकरण उत्तर पश्चिमी प्रांत के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गर्वनर सर जेम्स थॉमसन के नाम पर रखा गया। रिपोर्ट 1860 में लंदन में प्रकाशित हुई और उसमे स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया हैं कि ट्रेन का इंजन 1851 में इंग्लैंड से लाया गया था।

प्रारंभ में, दो बोगियों को लगभग 180 से 200 टन मिट्टी लोड करने की क्षमता के साथ इंजन से जोड़ा गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि रुड़की और पिरान कलियार के बीच लगभग 38 मील प्रति घंटे की गति से ट्रेन ढाई मील की दूरी तय करती थी। 1852 में एक दिन इंजन में आग लग गई और आग लगने तक ट्रेन लगभग नौ महीने तक चली। इसके दो साल बाद 1854 में गंगनहर का निर्माण पूरा हो गया। नहर को बनने में कुल लगभग 12 साल का वक्त लगा।

Short Stories of India - Story of first train in India (150 years of Indian railway)

वर्ष 2003 मे, भारतीय रेल के 150 वर्ष पूरे होने पर इंजन का मॉडल रुड़की रेलवे स्टेशन पर स्थापित किया गया जिसे अमृतसर में स्थित रेल कारखाने में तैयार किया गया। इस मॉडल से कुछ वर्ष पहले तक सप्ताह में कुछ दिन शाम छुक-छुक आवाज भी सुनी जा सकती थी। लेकिन अब ये रखरखाव के अभाव में शांत खड़ा रहता है।

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