Geneva Conventions
कन्वेंशन का मतलब क्या होता है?
सामान्य रूप में कन्वेंशन शब्द का अर्थ सभा या सम्मेलन
से होता हैं, लेकिन यदि हम कूटनीतिक रूप में देखें
तो कन्वेंशन शब्द का अर्थ केवल लोगों की सभा या सम्मेलन जैसा सामान्य अर्थ नहीं होता
बल्कि, इसका उपयोग वैश्विक रूप से अंतर्राष्ट्रीय समझौते या
संधि के लिए किया जाता हैं।
जिनेवा कन्वेंशन
यह वो नियम हैं जो केवल युद्ध के समय में लागू होते
हैं और ऐसे लोगों की रक्षा करने के उद्देश्य के लिए होता है जो अब युद्ध में भाग
नहीं ले रहे हैं या युद्ध में भागीदार नहीं हैं। इनमें युद्ध के मैदान में बीमार
और घायल सशस्त्र बलों, घायल, बीमार और समुद्र में सशस्त्र बलों के सदस्य, युद्ध बंदी
और नागरिक शामिल होते हैं।
निम्नलिखित को जिनेवा कन्वेंशन के रूप में जाना जाता
है। समान्य रूप में केवल सन 1949 के जिनेवा कन्वेंशन को ही प्रथम,
द्वितीय, तृतीय या चतुर्थ जेनेवा कन्वेंशन कहा
जाता है। सन 1949 की इन संधियों को, पूर्ण अथवा कुछ आरक्षण
के साथ, 196 देशों द्वारा अनुसमर्थित किया गया था जिसमें
भारत के साथ-साथ, भारत के लगभग सभी पड़ोसी देश शामिल हैं।
Ø पहला
जिनेवा कन्वेंशन, युद्ध के मैदान में घायल
और बीमार सशस्त्र बलों के लोगों की स्थिति में सुधार के लिए हैं जिसे पहली बार
1864 में अपनाया गया, 1906,1929 और अंत
में सन 1949 में संशोधित किया गया।
Ø द्वितीय
जिनेवा कन्वेंशन, घायल, बीमार और समुद्र में सशस्त्र बलों के सदस्य की स्थिति में सुधार के लिए हैं
जिसे पहली बार सन 1949 में अपनाया गया, जोकि हेग कन्वेंशन (X) 1907 का उत्तराधिकारी भी हैं।
Ø तृतीय
जिनेवा कन्वेंशन, युद्ध बंदी से किए जाने वाले
बर्ताव से संबंधी हैं जिसे पहली बार सन 1949 में अपनाया गया तथा सन 1949 में
संशोधित किया गया।
Ø चतुर्थ
जिनेवा कन्वेंशन, युद्ध के समय नागरिक के
संरक्षण से संबंधी हैं जिसे पहली बार सन 1949 में अपनाया गया, जोकि सन 1899 के हेग कन्वेंशन (II) एवं सन 1907 के हेग
कन्वेंशन (IV) के कुछ हिस्सों पर आधारित हैं।
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